मध्यप्रदेश में वन– भारत के केन्द्र में स्थित मध्यप्रदेश देश का हृदय स्थल है। इसकों नदियों का मायका भी कहा जाता है। इस कारण यह प्रदेश वन जैव विविधता से परिपूर्ण है। किसी भी राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में वनों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। वन भूमि की उर्वरता को बढ़ाते एवं कटाव को रोकते हैं।
प्रदेश भारत का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है जिसका क्षेत्रफल 3,08,245 वर्ग किलोमीटर है। यह देश के भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 9.38 प्रतिशत है, जिसमें से 25.14 प्रतिशत पर वन है। सभी भारतीय राज्यों में इसका सबसे बड़ा वनाच्छादित क्षेत्र लगभग 77,482 वर्ग किमी है। मध्यप्रदेश आर्थिक सर्वेक्षण 2004-05 के अनुसार, छत्तीसगढ के विभाजन के बाद मध्यप्रदेश में वन क्षेत्र 94,689 वर्ग किलोमीटर है, जो राज्य के कुल क्षेत्रफल का 30.72 प्रतिशत है।
मध्यप्रदेश में वनों की क्षेत्रीय इकाईयों का विवरण
क्र. | इकाईयों का प्रकार | संख्या |
1 | वृत्त | 16 |
2 | वनमंडल | 63 |
3 | उपवनमंडल | 135 |
4 | परिक्षेत्र | 473 |
5 | उपवनपरिक्षेत्र | 1871 |
6 | परिसर | 8286 |
भारतीय वन स्थिति रिपोर्ट-2019 के अनुसार वनों के विभिन्न वर्ग हैं-
क्र. | वनों के प्रकार | वन क्षेत्र (प्रतिशत में) | वनक्षेत्र (वर्ग किमी.) में |
1 | बहुत घने वन | भौगोलिक क्षेत्र का 2.17 | 6676.02 |
2 | कम घने वन | भौगोलिक क्षेत्र का 11.14 | 34,341.40 |
3 | खुले वन | भौगोलिक क्षेत्र का 11.83 | 36,465.07 |
जलवायु के आधार पर मध्यप्रदेश में वनों को मुख्यता तीन भागों में बांटा गया है-
- उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन:- जिस क्षेत्र में 50 से.मी. से 100 से.मी. वर्षा होती है, वहां इस प्रकार के वन पाये जाते हैं। इन वनों से भवन निर्माण सामग्री और फर्नीचर सामग्री प्राप्त की जा सकती है। इस प्रकार के वनों में पायी जाने वाली प्रमुख प्रजातियां- सागौन, शीशम, नीम व पीपल आदि हैं। यह वन मुख्यत: सागर, जबलपुर, छिंदवाड़ा, दमोह, छतरपुर, जन्ना और बैतूल, सिवनी, होशंगाबाद जिलों में पाए जाते हैं।
- उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन– जिस क्षेत्र में 25 से.मी. से 75 से.मी. वर्षा होती है, वहां इस प्रकार के वन पाये जाते हैं। पेड़ों की सामान्य ऊंचाई लगभग 8 मीटर से 20 मीटर तक होती है। प्रमुख प्रजातियां हर्रा, बबूल, तेंदू, शीशम, सागौन एवं सिरीस आदि है। यह वन मुख्यत: श्योपुर, शिवपुरी,रतलाम, मंदसौर, टीकमगढ़, दतिया, ग्वालियर तथा निमाड़ आदि में पाए जाते हैं।
- उष्ण कटिबंधीय अर्द्ध पर्णपाती वन– जिस क्षेत्र में 100 से.मी. से 150 से.मी. वर्षा होती है, वहां इस प्रकार के वन पाये जाते हैं। इन्हें ‘मानसून वन’ भी कहा जाता है। प्रमुख प्रजातियां साल, बांस, बीजा, जामुन, महुआ, सेजना, हर्रा, सागौन एवं तिनसा आदि हैं। यह वन मुख्यत: मंडला, बालाघाट, सीधी तथा शहडोल में पाए जाते हैं।
मध्यप्रदेश में प्रशासनिक आधार पर वनों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है-
- आरक्षित वन– यह कुल वनों का 33 प्रतिशत है।
- संरक्षित वन– यह कुल वनों का 65 प्रतिशत है।
- अवर्गीकृत वन– यह कुल वनों का 2 प्रतिशत है।
क्षेत्रफल की दृष्टि से मध्यप्रदेश देश का सबसे बड़ा वन क्षेत्र है। उसके बाद अरूणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और महाराष्ट्र हैं। सर्वाधिक बांस उत्पादित करने वाला राज्य मध्यप्रदेश है जबकि महाराष्ट्र, अरूणाचल प्रदेश क्रमश: दूसरे व तीसरे स्थान पर है। मध्यप्रदेश में सर्वाधिक सघन वनक्षेत्र क्रमश: बालाघाट, डिण्डौरी व मण्डला हैं। न्यूनतम वनआवरण जिला उज्जैन है।
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