भारत का विश्व में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान है। PSLV C-37 यान के द्वारा 104 उपग्रहों को 15 जनवरी 2017 को अंतरिक्ष में स्थापित कर विश्व कीर्तिमान बनाया है। Let us study on Scientific Institutions and Their Achievements.
Scientific Institutions and Their Achievements
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO)-
- इसकी स्थापना ‘15 अगस्त 1969’ ई. को हुई थी।
- इसके पहले चेयरमेन श्री डॉ विक्रम साराभाई थे।
- वर्तमान चेयरमेन डॉ एस. सोमनाथ है।
- इसका मुख्यालय ‘बेंगलुरू’ में है।
- भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग के अंतर्गत आता है। इसका आदर्श वाक्य ‘मानव जाति की सेवा में अंतरिक्ष प्रोद्योगिकी’ ।
- इसके अनु्प्रयोग भू-प्रेक्षण, उपग्रह संचार, आपदा प्रबंधन, नौवहन, जलवायु एवं पर्यावरण आदि में होता है।
विक्रम साराभाई स्पेस सेन्टर (VSSC)-
- यह इसरो के निर्माण के पूर्व निर्मित संस्था थी, जो वर्तमान में प्रक्षेपणयान निर्माण के क्षेत्र में मुख्यत: कार्य कर रही है।
- इसकी स्थापना 21 नवंबर 1963 को हुई थी, जिसका मुख्यालय तिरूअंतपुरम में है।
- इसका प्राचीन नाम ‘थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लांच स्टेशन’ था।
- 1963 ई. में अमेरिका द्वारा प्राप्त नाइक अपाचे राकेट का प्रक्षेपण इसी के द्वारा किया गया था।
- यह संस्था वर्तमान में 02 प्रकार के रॉकेट निर्मित करती है-
- साउडिंग रॉकेट– यह निचले वायुमण्उल के अध्ययन के लिये प्रयुक्त होता है।
- प्रक्षेपणयान– इसके प्रमुख लांच व्हीकल ‘पीएसएलवी और जीएसएलवी’ हैं, जिसकी सहायता से उपग्रहों का प्रक्षेपण किया जाता है।
यू आर राव उपग्रह केंद्र (SCSP)-
- इसकी स्थापना 11 मई 1972 को हुई थी इसका मुख्यालय बेंगलुरू में है।
- इस संस्थान में इलेक्ट्रोआप्टिक सिस्टम एवं इसरो उपग्रह एकीकरण और परीक्षण का कार्य किय जाता है।
- इसमें विभिन्न उपकरणों के लिये ‘वैक्यूम प्रेसर सेंटर’ का निर्माण किया गया है।
- इस संस्थान के द्वारा ‘चद्रयान-1 व 2 तथा मंगलयान’ के लिये आर्ब्टिर का निर्माण किया गया था।
- इस संस्था के द्वारा 03 प्रकार के सैटेलाईट का निर्माण किया जाता है-
- इंडियन रिमोट सेंसिंग,
- इनसेट व
- जीसेट।
सतीश धवन स्पेस सेंटर (SDSC)-
- भारत का एक मात्र अंतरिक्षयान प्रक्षेपण केंद्र है।
- इसकी स्थापना 01 अक्टूबर 1971 में हुई।
- मुख्यालय पुलीकट झील के तटीय भाग में स्थित श्रीहरिकोटा द्वीप पर है जो कि आंध्रपदेश के नेल्लोंर जिले में स्थित है।
- इसका पुराना नाम श्री हरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र था, जिसे परिवर्तित कर 2002 में इसरो के द्वितीय अध्यक्ष सतीश धवन के नाम पर रखा गया।
- इसके द्वारा पहली बार साउडिंग रॉकेट का प्रक्षेपण 1971 में तथा रोहणी उपग्रह का प्रक्षेपण 1979 में किया गया था।
- एसएलवी-3 भारत का प्रथम प्रक्षेपणयान था।
- इस संस्थान में 02 लांच पैड हैं-
- ध्रुवीय उपग्रह- सर्वेक्षण एवं दूरसंवेदी उपग्रह ।
- भू-स्थिर उपग्रह- संचार उपग्रह।
अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (SAC)-
- इसकी स्थापना 1972 में की गई, इसका मुख्यालय अहमदाबाद में है।
- प्रक्षेपणयान के पे लोड, कैमरे व सुदूर संवेदी उपकरणों का निर्माण इसी केन्द्र के द्वारा किया जाता है।
मुख्य नियंत्रण केंद्र (MCF)-
- इसकी स्थापना 1982 ई. में की गई।
- इसका मुख्यालय हासन (कर्नाटक) में है।
- यह ‘सेटेलाइट’ का नियमन एवं नियंत्रण करती है।
- इसके दो प्रमुख उपकेंद्र-
- भोपाल (2005) एवं
- बिलाकटांग (इंडोनेशिया) में स्थित है।
द्रव प्रणोदक प्रणाली केंद्र (LPSC)-
- स्थापना 1983 में की गई।
- इसका मुख्यालय वलियामला, तिरूअनंतपुरम में तथा उपकेंद्र बेंगलुरू में स्थित है।
- इसके द्वारा प्रक्षेपणयान के लिये द्रव ईधन का एकीकरण करने का कार्य करता है।
राष्ट्रीय दूर संवेदन केन्द्र (NRSC)-
- स्थापना- 1972 में
- मुख्यालय- हैदराबाद।
- इस संस्था के द्वारा अंतरिक्ष उपग्रहों से प्राप्त सुदूर संवेदी डाटा पर कार्य किया जाता है।
भारतीय गहन अंतरक्षि नेटवर्क (IDSN)-
- स्थापना 17 अक्टूबर 2008
- मुख्यालय बेंगलुरू।
- इस केन्द्र का प्रमुख कार्य उपग्रहों से सिग्नल रिसीव करने का कार्य करता है।
इंडियन स्पेस साइंस डाटा सेंटर (ISSDC)-
- स्थापना- 17 अक्टूबर 2008,
- मुख्यालय- ब्यालालू, बैंगलुरू के निकट।
- इसका मुख्य कार्य अंतरिक्ष मिशनों का डाटा स्टोर किया जाता है।
भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिक केंद्र (IIST)-
- स्थापना 14 सितंबर 2007
- मुख्यालय वलियामला, तिरूअनंतपुरम।
- इसका प्रमुख कार्य अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्रों में अनुसंधान एवं शिक्षा को बढ़ावा देना।
भारतीय सुदूर संवदेन संस्थान (IIRS)-
- स्थापना 21 अप्रैल 1966
- मुख्यालय देहरादून, उत्तराखण्ड।
- इसका मुख्य कार्य वन सर्वेक्षण के लिये महत्वपूर्ण डाटा उपलब्ध करवाना है।
एन्ट्रिक्स कार्पोरेशन (ACL)-
- स्थापना 28 सितंबर 1992
- मुख्यालय- बेंगलुरू में ।
- इसका मुख्य कार्य वाणिज्यिक एवं विपणन का कार्य देखना है।
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंउामेंटल रिसर्च (TIFR)
- स्थापना 01 जून 1945
- मुख्यालय कोलाबा तटीय क्षेत्र मुंबई।
- इस संस्था की स्थापना जे.आर.डी टाटा के महत्वपूर्ण सहयोग से डॉ होमी जहांगीर भाभा के निर्देशन मे की गई थी।
- इस संस्था के द्वारा भारत का पहला डिजिटल कम्प्यूटर टिरकैफ का निर्माण 1957 ई. में किया गया था।
राष्ट्रीय वायुमण्डलीय अनुसंधान प्रयोगशाला, तिरूपति (NARL)-
- स्थापना- 1992 एवं
- मुख्यालय- गंडकी, तिरूपति आंध्रप्रदेश।
- इस प्रयोगशाला में एयरोसोल्स, रेडिएशन एंड ट्रेस गैस ग्रुप आदि का अध्ययन किया जाता है।
Scientific Institutions and Their Achievements
भारत के प्रमुख वैज्ञानिक संस्थानों की प्रमुख उपलब्धियां निम्नलिखित हैं-
- 1975 ई. में भारत के प्रथम उपग्रह ‘आर्यभट्ट’ का प्रक्षेपण किया।
- 1993 ई. में ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान ‘पीएसएलवी’ का विमोचन किया ।
- 2001- में ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान जीएसएलवी का विमोचन किया ।
- 2008 में पीएसएलवी-सी 11 ने श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-1 का प्रक्षेपण किया ।
- 2013-2014 मे मंगल मिशन ।
- 2017 में 104 उपग्रहों का एक साथ प्रक्षेपण कर दुनिया में नाम कमाया।
- 2019 में चंद्रयान-2 मिशन, जीएसएलवी के जरिये लांच किया।
- दिसंबर 2020 में सीएमएस-01 व ईआएस-01 क्रमश: Communication व Disaster Management System, Earth Observation के लिये PSLV-50 व PSLV-49 की सहायता से भेजे।
नियोजित मिशन–
- चंद्रयान-3 में लेंडर और रोवर को भेजा जायेगा लुनार स्पेश पर।
- ‘गगनयान’ को ‘हयूमन स्पेश फलाइट प्रोग्राम’ के नाम से जाना जाता है।
- Lunar Polar Exploration Mission को JAXA and ISRO के द्वारा चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर भेजा जायेगा।
- Aditya L-1 सौमंडल में स्थित कोरोना के अध्ययन के लिये भेजा जायेगा।
- NISAR– यह NASA and ISRO का संयुक्त मिशन है।
Major Satellites of India
मानव निर्मित एक उपकरण जो अंतरिक्ष में पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण के कारण निर्धारित कक्षा में परिक्रमा करते हैं । कृत्रिम उपग्रह की परिकल्पना आर्थर सी क्लार्क ने दी। उपग्रह के माध्यम से पृथ्वी पर स्थित केंद्रों को विभिन तरंगों का प्रसारण किया जाता है, जिससे फोटोग्राफ व सूचनाएं आदि प्राप्त होती हैं।
उपग्रह मुख्यत: दो प्रकार होते हैं-
क्र. | उपयोग के आधार पर | वजन के आधार पर |
1 | संचार उपग्रह | अतिवृहद 3000 किग्रा से अधिक |
2 | सर्वेक्षण | बृहद 500-3000 किग्रा |
3 | नेविगेशन | मिनी 100-500 किग्रा. |
4 | सैन्य | माइक्रो 10-100 किग्रा. |
5 | मौसम | नैनों 1-10 किग्रा. |
6 | विशेष उपयोग | पीको 100 ग्राम या उससे कम। |
प्रमुख अंतरिक्ष कक्षाएं
अंतरिक्ष कक्षाएं मुख्यत: तीन प्रकार की होती हैं-
भू-स्थिर कक्षा (GEO)-
- यह पृथ्वी से लगभग 36 हजार किमी की ऊंचाई पर होती है।
- पृथ्वी के विषुवतीय रेखा के ठीक उपर तथा वृत्ताकार स्थापित होती हैं।
- इस कक्षा में उपग्रहों का वेग पृथ्वी के घूर्णन वेग के बराबर होता है। इसी कारण उपग्रह पृथ्वी के एक बिंदु पर स्थिर प्रतीत होता है।
- दूरसंचार और मौसमी उपग्रह इसी कक्षा में स्थित होते हैं। जैसे- भारत के इनसेट उपग्रह।
पृथ्वी की माध्यमिक कक्षा (MEO)-
- यह कक्षा दीर्घवृत्ताकार होती है तथा पृथ्वी से 5,000 से 20,000 किमी की दूरी पर स्थित कक्षाएं।
- यह कक्षाएं मुख्यत: नेविगेशन के लिये प्रयुक्त होती हैं।
पृथ्वी की निम्न कक्षा (LEO)–
- यह कक्षा सर्वाधिक प्रयोग में लायी जाती है।
- पृथ्वी से 400 से 1200 किमी तक फैली होती है।
- इसका प्रयोग सुदूर संवेदी उपग्रहों के लिये किया जाता है।
- ध्रुवीय उपग्रह स्थापित किये जाते हैं।
- इस कक्षा को ‘पोलर आर्बिट’ के नाम से जाना जाता है।
Launch Vehicle related to Scientific Institutions and Their Achievements
प्रक्षेपणयान की पीढि़या एवं प्रकार
प्रक्षेपणयान मुख्यत: दो प्रकार के होते हैं-
- एक बार उपयोग किये जाने वाले
- पुन: उपयोगी
एक बार उपयोगी- ऐसे प्रक्षेपणयान, जो सेटेलाइट को निर्धारित कक्षा में स्थापित कर अंतरिक्ष की ओर चले जाते हैं। ये प्राय: एक बार ही प्रयोग में लाये जाते हैं। जैसे- SLV, ASLV, PSLV, एवं GSLV।
SLV (Satellite Launch Vehicle)-
- इसका निर्माण डॉ एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा 1970 ई. में किया गया था।
- यह 40 किग्रा वजन 400 किमी की ऊचाई तक ले जाने में सक्षम है।
- इसका पहला परीक्षण 1979 ई. में किया गया था जो कि असफल रहा।
- रोहणी उपग्रह का सफल प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा से वर्ष 1980 ई. में SLV-3 राकेट के माध्यम से किया गया था।
ASLV (Augmented Satellite Launch Vehicle)-
- SROSS उपग्रह का प्रक्षेपण इसी यान के द्वारा किया गया था।
- इसका अंतिम प्रयोग 1994 में किया गया था।
- 1980 ई. में इसरो के द्वारा का ASLV निर्माण किया गया था।
- यह 05 चरणों वाला प्रक्षेपण यान है जो 150 किग्रा के उपग्रह को अंतरिक्ष में ले जा सकता है।
PSLV (Polar Satellite Launch Vehicle)-
- इसकी पहली उड़ान 20 सितम्बर 1993 में की गई, जो कि असफल रही।
- यह एक शक्तिशाली राकेट है। यह 04 चरणों वाला रॉकेट होता है।
- इसके द्वारा उपग्रहों को ध्रुवीय कक्षा में 12000 किमी तक की ऊंचाई पर स्थापित किया जाता है।
- PSLV C-37 यान के द्वारा 104 उपग्रहों को 15 जनवरी 2017 को अंतरिक्ष में स्थापित कर विश्व कीर्तिमान बनाया था।
- चन्द्रयान-1 और मंगलयान उपग्रहों का प्रक्षेपण PSLV-XL द्वारा किया गया था।
- PSLV-XL सर्वाधिक शक्तिशाली प्रक्षेपण यान है। इसे ‘वर्क हॉर्स ऑफ इसरो’ कहा जाता है।
GSLV (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle)-
- यह सेटेलाइट को भू-मध्य रेखा के ऊपर 36000 किमी की ऊंचाई पर स्थित भूस्थिर कक्षा में स्थापित करता है।
- GSLV 03 चरणों वाला प्रक्षेपण यान है।
- पहले चरण में ठोस ईंधन, दूसरे में द्रवित ईधन व तीसरे चरण में क्रायोजेनिक इंजन स्थित होता है।
- GSLV की मुख्यत: 03 पीढि़यां है-
- मार्क-1 (पे लोड- 1500-2000 किग्रा.),
- मार्क-2 (पे लोड- 2000-2500 किग्रा.) व
- मार्क-3 (पे लोड- 4000 किग्रा.) ।
पुन: उपयोगी– वह प्रक्षेपण यान जिनका प्रयोग एक से अधिक बार किया जा सकता है। अर्थात् किसी उपग्रह को प्रक्षेपित करने के पश्चात उसका दोबारा प्रक्षेपण में प्रयोग किया जा सकता है।
Important Facts Related to Scientific Institutions and Their Achievements
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (National Committee for Space Research)का गठन 1962 ई. में किया गया था।
- इस समिति को विक्रम सारा भाई की अध्यक्षता में की गई थी।
- इस समिति के प्रमूख सदस्य सतीश धवन और डॉ एपीजे अब्दुल कलाम जी थे।
- प्रथम प्रक्षेपित साउंडिंग राकेट नाइक अपाचे अमेरिका से प्राप्त किया गया था।
- 21 नवम्बर, 1963 को थुम्बा से पहला राकेट अंतरिक्ष में छोडा गया।
- भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के पिता की संज्ञा डॉ विक्रम सारा भाई को दी जाती है।
- इसरो के लांच व्हीकल को थुम्बा से हटाकर श्रीहरिकोटा, आंध्रप्रदेश स्थानांतरित किया गया।

Pingback: Rewa Division । रीवा संभाग । मध्यप्रदेश के प्रमुख जिलों की जानकारी। - VISION PCS