मध्यप्रदेश राज्य के 10 प्रशासनिक प्रभागों में Jabalpur Division भौगोलिक रूप से राज्य के मध्य भाग में स्थित है। इस क्षेत्र को आमतौर पर महाकौशल के नाम से जाना जाता है। क्षेत्रफल की दृष्टि से यह प्रदेश का सबसे बड़ा संभाग है। इसके अंतर्गत 08 जिले सम्मिलित हैं- जबलपुर, छिंदवाडा, बालाघाट, कटनी, डिंडोरी, मंडला, नरसिंहपुर और सिवनी । वर्तमान में Jabalpur Division के संभागायुक्त श्री बी. चंद्रशेखर, आई.ए.एस हैं। इनका कार्यालय जबलपुर में स्थित है।
Jabalpur Division
जबलपुर जिला-
जबलपुर, मध्यप्रदेश के चार महानगरों में से एक है और इसे मध्यप्रदेश की संस्कार राजधानी व मध्यप्रदेश की न्यायिक राजधानी होने का गौरव प्राप्त है। महर्षि जाबालि यहां निवास करते थे, इसीलिये पुराणों के अनुसार इस शहर को जाबालिपुरम् के नाम से भी जाना जाता था।
- मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय का मुख्यालय, जबलपुर में स्थित है।
- 1100 ई. में गोंड राजा मदन सिंह द्वारा बनवाया गया मदन महल यहां स्थित है।
- पर्यटन की दृष्टि से यहां भेड़ाघाट जलप्रपात, जबलपुर हार्ट, हनुमानताल, चौसठ योगिनी मंदिर और मदन महल स्थित हैं।
- महात्मा गांधी सामुदायिक विकास केन्द्र, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय आदि स्थित हैं।
- देश का प्रथम कृषि विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर में स्थित है।
- भारतीय वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून का क्षेत्रीय कार्यालय यहां स्थित है।
- देश का पहला रत्न परिष्करण केन्द्र है।
- केन्द्रीय रक्षा मंत्रालय के अधीन भारी वाहन कारखाना, गन कैरिज एवं हथियार बनाने वाली आर्डिनेंस फैक्ट्री, जबलपुर में स्थित है।
- नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय स्थित है।
- नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज यहां स्थित है।
- नार्मन बोरलॉग अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र, जबलपुर में स्थित है।
- वर्ष 2005 में भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी अभिकल्पना और विनिर्माण संस्थान की स्थापना की गई है।
छिंदवाड़ा जिला-
छिंदवाड़ा जिले के अंतर्गत 13 तहसीलें आती है। यह क्षेत्रफल के आधार पर मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा जिला है। इसके तामिया तहसील से 20 किमी की दूरी पर स्थित पातालकोट नामक स्थान पर भारिया जनजाति निवास करती है।
- इस घाटी में दूधी नदी बहती है, जो कि नर्मदा की सहायक नदी है।
- प्रसिद्ध मेघनाथ का मेला छिंदवाडा के उमरेठ में लगता है।
- यहां स्याही बनाने का सरकारी कारखाना स्थित है।
- मध्यप्रदेश का सर्वाधिक अदरक उत्पादक जिला है।
- छिंदवाड़ा में एग्रो कॉम्पलेक्स और आदिवासी कला संग्रहालय स्थापित किया गया है।
- यहां कोयला, तांबा और मैंगनीज का उत्पादन किया जाता है।
- कान्हन नदी पर लिलाही जलप्रपात स्थित है।
बालाघाट जिला-
वर्ष 1867 ई. में बालाघाट जिले का गठन भंडार, सेनी और मंडला जिले के कुछ हिस्सों को मिलाकर बनाया गया था। 17वीं शताब्दी के मध्य में यहां गोंड राजवंश का शासन था।
- बालाघाट मध्यप्रदेश का सर्वाधिक लिंगानुपात (1021) वाला जिला है।
- एशिया की सबसे बड़ी मैंगनीज की भारवेली खदान यहां स्थित है।
- यहां स्थित मलाजखंड ताम्र अयस्क के उत्पादन के लिये प्रसिद्ध है।
- मध्यप्रदेश का पहला वनराजिक महाविद्यालय यहां स्थापित किया गया था।
- गोंड राजा हटे सिंह वल्के ने हट्टा की बाबली का निर्माण करवाया था, जो कि गर्मी के दिनों में सैनिकों के छिपने, पेयजल, स्नान और आराम करने के लिये बनाया गया था।
कटनी जिला-
इसे चूना नगरी के नाम से भी जाना जाता है। इसका निर्माण वर्ष 1998 ई. में जबलपुर से अलग करके किया गया था।
- कटनी जिले की विजयराघगढ़ तहसील लौह अयस्क के लिये प्रसिद्ध है।
- यहां इलेक्ट्रानिक एवं डीजल लोकोसेड बनाने का करखाना स्थापित किया गया है।
- स्लीमनाबाद नगर की स्थापना कर्नल स्लीमन के नाम पर की गई थी।
- वर्ष 1922 में एसीसी सीमेंट फैक्ट्री की स्थापना कटनी में की गई थी।
सिवनी जिला-
सिवनी को मध्यप्रदेश का लखनऊ कहा जाता है। इसके अंतर्गत 08 तहसीलें आती है। गौंड राजाओं के 52 गढों मे से यह एक महत्वपूर्ण स्थल रहा है।
- यहां वेनगंगा नदी पर एशिया का सबसे बड़ा मिट्टी का बांध बनाया गया है, जिसे ‘भीम बांध या संजय सरोवर बांध’ के नाम से जाना जाता है।
- यहां पर भौरोंनाथ का मेला लगता है।
- वेनगंगा नदी का उद्गम सिवनी जिले के मुडारा से होता है।
- यह दक्षिण दिशा में प्रवाहित होने वाली प्रमुख नदी है।
- सिवनी का लखनादौन, कालीमूंछ चावल और मावाबटी के लिये प्रसिद्ध है।
- टूरिया जंगल सत्याग्रह का संबंध सिवनी जिले से है।
- पेंच राष्ट्रीय उद्यान यहां पर स्थित है, जिसे टाईगर प्रोजेक्ट में शामिल किया गया है।
- मोगलीलैंड पार्क का निर्माण राज्य के सिवनी में किया जा रहा है।
मंडला जिला-
मंडला जिले के अंतर्गत 06 तहसीलें आती है, जो इस प्रकार है- मंडला, नैनपुर, बिछिया, घुघरी, निवास और नारायणगंज। यह, मध्यप्रदेश राज्य की सतपुड़ा पहाडि़यों में बसा हुआ है। नर्मदा नदी मण्डला को तीन ओर से घेरती है।
- नर्मदा व बंजर यहां की प्रमुख नदियां हैं। इनकी घाटियों में स्थित जंगलों व उपजाऊ जमीन को हवेली कहा जाता है।
- लाख का उत्पादन, लकड़ी की कटाई, पशुपालन और पान की खेती आदि यहां के लोगों का मुख्य रोजगार है।
- यहां कान्हा टाइगर रिजर्व स्थित है, इसे कान्हा राष्ट्रीय उद्यान भी कहा जाता है।
डिंडोरी जिला-
वर्ष 1998 में मंडला जिले का विभाजन कर डिंडोरी जिले का निर्माण किया गया था। इसका मूल नाम रामगढ़ था। मध्यप्रदेश का न्यूनतम जनसंख्या घनत्व (94 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी) वाला जिला है।
- जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान, प्रदेश का सबसे छोटा जीवाश्म नेशनल पार्क यहां स्थित है।
- डिण्डोरी में लिंगानुपात 1000 पुरूषों पर 1004 महिलाएं है और साक्षरता दर 65.50 प्रतिशत है।
- यह आदिवासी बाहुल्य जिला है, यहां 64 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या निवास करती है।
- बैगा जनजाति जिले की प्रमुख जनजाति है।
- मध्यप्रदेश का सबसे अधिक बिरल आवादी वाला जिला डिण्डोरी है।
नरसिंहपुर जिला-
इसके अंतर्गत कुल 06 तहसीलें क्रमश: नरसिंहपुर, गाडरवारा, गोटेगांव, तेंदूखेड़ा, करेली और साईंखेड़ा आती हैं। इसे गड़रिया खेड़ा के नाम से भी जाना जाता था।
- इसके उत्तरी सीमा पर विंध्याचल और दक्षिणी सीमा पर सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला फैली हुई है।
- राज्य के गाडरवाड़ा में स्थित बरमान घाट पर मकर संक्राति पर बरमान का मेला लगता है।
- चौरागढ़ किले का निर्माण राजा संग्राम सिंह द्वारा कराया गया था।
- यहां राज्य का गन्ना अनुसंधान केंद्र स्थित है।
- राज्य का एकमात्र बंदी गृह नरसिंहपुर में स्थित है।
- सोयाबीन के उत्पादन में नरसिंहपुर जिले का मध्यप्रदेश में प्रथम स्थान है।
- आशुतोष राना प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता एवं सैययद हैदर रजा का जन्म नरसिंहपुर में हुआ था।
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