भारत अनन्तकाल से ही समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, धार्मिक विचारों और ऋषि मुनियों की भूमि रहा है। भारतीय संस्कृति में अनेकता में एकता निहित है। सामाजिक प्राणी होने के कारण मानव समाज की हर एक राज्य में एक ‘विशिष्ट कला और संस्कृति’ है। कला एवं संगीत एक दूसरे के पूरक होते हैं। लोक संगीत, एक प्रकार की पारंपरिक और आम तौर पर ग्रामीण संगीत है। मध्यप्रदेश एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत वाला राज्य है। इस कारण Folk Songs of MP, एक स्थान से दूसरे स्थान पर भिन्न-भिन्न होते हैं।
मध्यप्रदेश के लोक संगीत में मुख्यत: आल्हा गायन, फाग गीत, जगदेव का पुवारा, हरदोल की मनोती, पंडावनी, बांस गीत, ढोला मारू, घोटुल पाता, कलगी तुर्रा, भर्तहरि, भरथरी गायन और सिंगाजी भजन आदि राज्य के चार प्रमुख क्षेत्रों निमाड़, मालवा, बघेलखण्ड और बुंदेलखण्ड में विभिन्न अवसरों पर गाये जाते हैं।
Folk Songs of MP –
आल्हा गीत-
आल्हा लोकगीत मध्यप्रदेश के ‘बुदेलखंड क्षेत्र’ में बरसात के दिनों में गाया जाने वाला एक लोकप्रिय गीत है। यह गीत साहस और वीरता से प्रेरित होता है। ‘आल्हा और ऊदल’ चंदेल शासक राजा परमल के महान सेनानायक थे। प्रसिद्ध लोक कवि ‘जगनिक’ ने आल्हाखण्ड की रचना की थी । यह आल्हा-ऊदल के ‘52 युद्धों’ पर प्रकाश डालता है।
फाग गीत– होली त्योहार के दौरान गाये जाने वाले गीतों को फाग गीत के नाम से जाना जाता है। फाग गीत के विभिन्न प्रकार होते हैं- राय फाग, इसुरी फाग और ठाकुर फाग।
जगदेव का पुवारा- यह एक भजन है। जो कि देवी- देवताओं की पूजा-पाठ के समय गाया जाता है।
हरदोल की मनाती- यह एक गीत है, जो कि बुंदेलखण्ड क्षेत्र में बहादुरी या जीत का जश्न मनाने के लिये गाया जाता है।
पंडावनी– यह गीत महाभारत के पांडव भाईयों की कहानी पर आधारित है। इस गीत में ‘महाभारत’ को संगीत के माध्यम से लोगों के सामने प्रस्तुत किया जाता है।
बांस गीत- बांस के उपकरणों से बने हुए वाद्य यंत्रों की सहायता से यह गीत गाया जाता है।
ढोला मारू– यह लोक संगीत ‘प्रेम कहानियों’ पर आधारित है। यह मध्यप्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों मालवा, निमाड़ आदि क्षेत्रों में विभिन्न शैलियों में गाया जाता है। ‘ढोला मारू’, राजस्थान का एक लोक संगीत है।
घोटुल पाता– किसी व्यक्ति की मृत्यु के समय गाया जाने वाला लोक संगीत है।
कलगी तुर्रा– यह मध्यप्रदेश के निमाड़ क्षेत्र में गाया जाने वाला लोक संगीत है। प्राचीन लोक संगीत है।
भर्तहरि- यह एक प्राचीन लोक गीत है। तार वाले वाद्ययंत्र का उपयोग करके मध्यप्रदेश के योगियों द्वारा गाया जाता है। इस लोक गीत प्रमुख गायिका ‘सरोज खांडे’ हैं।
Folk Songs of MP
क्र. | क्षेत्र | प्रमुख लोकसंगीत |
1 | निमाड़ | कलगी तुर्रा, संत सिंगाजी भजन, मसाण्या गीत, फाग गायन, गरबा गीत, निरगुणिया, नाथपंथी गायन एवं लावणी। |
2 | मालवा | भरथरी गायन, संजा गीत, हीड़ गायन, भौंपो एवं बरसाती बारात |
3 | बुन्देलखण्ड | आल्हा गायन, हरदौल की मनोती, भोला गीत, बेरायटा गायक, दिवारी गायन, लमटेरा गीत, एवं जगदेवा का पुवारा |
4 | बघेलखण्ड | बसदेवा गायन, बिरहा गायन, विदेशिया गायन फाग गायन । |
5 | मालवा, निमाड़ एवं बुंदेलखण्ड | ढोला मारू गीत, लावणी |
Folk Songs of MP
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