Irrigation and Hydroelectric Projects in MP । मध्‍यप्रदेश में प्रमुख सिंचाई और विद्युत परियोजनाएं

नदी घाटी परियोजना- इसे ‘Narmada Valley Development Authority’ के नाम से भी जाना जाता है। इसकी स्‍थापना ‘1985 ई.’ में मध्‍यप्रदेश सरकार द्वारा की गई थी। इसका मुख्‍यालय भोपाल में स्थित है। इसका मुख्‍य उद्देश्‍य मध्‍यप्रदेश की प्रमुख नदियों नर्मदा, चंबल, तापी, बेतवा, माही, बेनगंगा आदि नदियों पर स्थित जल विद्युत परियोजनाओं का विकास एवं रखरखाव करना होता है। Irrigation and Hydroelectric Projects in MP के बारे में विस्‍तृत रूप से नीचे दिया गया है।

Irrigation and Hydroelectric Projects in MP

क्र.जलविद्युत केन्‍द्रस्थितीनदीउत्‍पादनअन्‍य विवरण
1गांधी सागरमंदसौर जिले की भानपुरा तहसीलचम्‍बल115 मेगावाट (म.प्र. को 57.5 मेगावाट)बांध का निर्माण 1960 में। यह म.प्र. व राजस्‍थान की संयुक्‍त
2जवाहर सागर (कोटा बैराज)कोटा(राजस्‍थान)चम्‍बल99 मेगावाट म.प्र. को 49.5 मेगावाटयह म.प्र. व राजस्‍थान की संयुक्‍त
3राणाप्रताप सागरचित्‍तोडगढ़(राज.)चम्‍बल172 मेगावाट (86 मेगावाट)1967-69
4इंदिरा सागरपुनासा (खण्‍डवा)नर्मदा1000 मेगावाट125*8 में इकाईयां
5ओंकारेश्‍वर जलविद्युत केन्‍द्रओंकारेश्‍वर (खण्‍डवा)नर्मदा520 मेगावाट2006 में निर्मित।
6महेश्‍वर जल विद्युत केन्‍द्रमहेश्‍वर (खरगोन)नर्मदा450 मेगावाटप्रा‍रम्भिक उत्‍पादन
7बरगी जल विद्युत परियोजनाग्राम बिजौरा, जबलपुरबरगी90 मेगावाट45-45 मेगावाट
8टोंस जल विद्युत परियोजनासिरमौर, गोविन्‍दगढ़, रीवाटोंस345 मेगावाट1991 में प्रारंम्‍भ
9राजघाट/लक्ष्‍मीबाईललितपुरबेतवा45 मेगावाटम.प्र. व उ.प्र. की संयुक्‍त
10पेंचछिंदवाड़ापेंच160 मेगावाट1986-87 में स्‍थापित।
11वीरसिंहपुरपाली, उ‍मरिया 20 मेगावाट1991 में प्रारम्‍भ।
12मड़ीखेड़ा (मोहिनीसागर)नरवर (शिवपुरी)मोहिनी60 मेगावाट2010 से उत्‍पादन प्रारम्‍भ।
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मध्‍यप्रदेश सरकार द्वारा राज्‍य में निम्‍नलिखित परियोजनाएं संचालित की जा रही है-

  1. गांधी सागर परियोजना।
  2. नर्मदा घाटी परियोजना।
  3. इंदिरा सागर परियोजना।
  4. ओंकारेश्‍वर परियोजना।
  5. महेश्‍वर परियोजना।
  6. सरदार सरोवर परियोजना।
  7. तवा परियोजना आदि।

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चम्‍बल नदी घाटी परियोजना- इस परियोजना में चंबल नदी पर मुख्‍यत: छोटी- बड़ी कुल 03 नदी घाटी परियोजनाएं संचालित है।

  1. गांधी सागर परियोजना।
  2. राणाप्रताप सागर परियोजना।
  3. जवाहर सागर परियोजना (कोटा बैराज) ।

गांधी सागर परियोजना-

  • इस परियोजना का शुभारम्‍भ ‘1954 ई.’ में पं. जवाहरलाल नेहरू द्वारा किया गया था।
  • मध्‍यप्रदेश का यह सबसे पहली व प्रदेश का सबसे बड़ी परियोजना है।
  • राज्‍य के मंदसौर जिले के भानपुर तहसील में स्थित है।
  • इसकी बिजली उत्‍पादन क्षमता 115 मेगावाट है।
  • इस परियोजना की दाहिनी ओर की नहरों से मध्‍यप्रदेश के जिलों में सिंचाई होती है, जबकि बाएं किनारों की नहरों से राजस्‍थान में सिचांई की जाती है।
  • इसकी सिंचाई क्षमता 3.5 लाख एकड़ है।

राणप्रताप सागर परियोजना-

  • यह परियोजना राजस्‍थान के चित्‍तोड़गढ़ जिले के रावतभाटा में स्थित है।
  • इसकी विद्युत उत्‍पादन क्षमता 172 मेगावाट है।

जवाहर सागर परियोजना-

  • यह परियोजना राजस्‍थान के कोटा जिले में स्थित है।
  • इसकी बिजली उत्‍पादन क्षमता 99 मेगावाट है।
  • मध्‍यप्रदेश की अम्‍बाह, मुरैना और तवा मऊ इस परियोजना की महत्‍वपूर्ण नहरें है।

नर्मदा घाटी परियोजना– हिन्‍दू पुराणों में ‘नर्मदा नदी’ को रेवा नदी भी कहा गया है। नर्मदा घाटी परियोजना मध्‍यप्रदेश की सबसे महत्‍वपूर्ण परियोजनाओं में से एक है। नर्मदा नदी अमरकंटक से निकलकल प्रदेश के 15 जिलों से होते हुए अरब सागर में गिर जाती है। नर्मदा नदी के पानी के उपयोग पर आज तक बहुत सारे विवाद खड़े हुए हैं, जिनसे संबंधित विवाद समितियां निम्‍नलिखित हैं-

  1. डॉ. ए.एन. खोसला समिति (1964)।
  2. नर्मदा जल विवाद प्राधिकरण (1969)। 
  3. सैफुद्दीन सोज समिति (2006)।
  4. शुंगलू समिति (इसके अनुसार म.प्र. नर्मदा का 65 प्रतिशत पानी उपयोग करेगा 2025 तक)।

इंदिरा सागर परियोजना-

  • यह परियोजना मध्‍यप्रदेश के खण्‍डवा जिले में पुनासा डैम प‍र स्थित है।
  • इस परियोजना का उद्घाटन भारत की प्रधानमंत्री इंदिरागांधी ने 23 अक्‍टूबर 1984 ई. को किया था।
  • मध्‍यप्रदेश में सबसे जयादा 1000 मेगावाट बिजली का उत्‍पादन करता है।
  • इस परियोजना में कुल 04 टरबाईन लगायी गई हैं, जो प्रत्‍येक 250 मेगावाट के हिसाब से बिजली का उत्‍पादन कर रही हैं।
  • खण्‍डवा के पुनासा गांव में नर्मदा नदी पर स्थित है।
  • उक्‍त परियोजना केन्‍द्र और राज्‍य सरकार की संयुक्‍त परियोजना है। इनकी आपस की हिससेदारी निम्‍न प्रकार है-
    1. एनएचपीसी (नेशनल हाइड्रोइलैक्ट्रिक पावर कारपोरेशन 51 प्रतिशत )
    2. एनएचडीसी (नर्मदा हाइड्रोइलैक्ट्रिक डेवलपमेन्‍ट कोरपोरेशन 49 प्रतिशत)

ओंकारेश्‍वर परियोजना-

मध्‍यप्रदेश के खण्‍डवा जिले के मंधाता गांव में नर्मदा नदी पर स्थित है। इस विद्युत परियोजना की उत्‍पादन क्षमता 520 मेगावाट है। यह परियोजना खरगोन और धार जिले में सिंचाई की सुविधा प्रदान करती है।

महेश्‍वर परियोजना

नर्मदा नदी पर स्थित यह परियोजना मध्‍यप्रेदश के खरगोन जिले में है। इसकी उत्‍पादन क्षमता 400 मेगावाट है। यहां पर 10 टरबाईन लगी हुई हैं जो प्रत्‍येक 40 मेगावाट विद्युत का उत्‍पादन कर रही है।

सरदार सरोवर परियोजना-

  • यह परियोजना नर्मदा नदी पर स्थित सबसे बड़ी परियोजना है, जो कि मध्‍यप्रदेश, गुजरात, राजस्‍थान और महाराष्‍ट्र के सहयोग से संचालित की जा रही है।
  • इस परियोजना का शुभारम्‍भ पं. नेहरू के द्वारा 05 अप्रैल 1961 ई्. को किया गया था।
  • इस परियोजना की कुल बिजली उत्‍पादन क्षमता 1450 मेगावाट है।
  • तथा इसकी सिंचाई क्षमता 22000 हेक्‍टेयर क्षेत्रफल भूमि को सिंचित करना है।
  • यह परियोजना गुजरात के भरूच जिले के देवरिया में स्थित है।

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बरगी परियोजना-

  • इस परियोजना को ‘रानी अंवतीबाई परियोजना’ के नाम से भी जाना जाता है।
  • यह मध्‍यप्रदेश के जबलपुर जिले के ‘बरगी गांव’ के निकट स्थित है।
  • इस परियोजना का शुभारंभ 1975 में किया गया था तथा इसने अंतिम रूप 1988 ई. में लिया।
  • इसकी विद्युत उत्‍पादन क्षमता 90 मेगावाट है।
  • यह परियोजना जबलपुर, नरसिंहपुर, मंडला ओर सिवनी जिलों में सिंचाई की सुविधा उपलब्‍ध कर रही है।  

बाणसागर परियोजना-

  • इस परियोजना का शुभारम्‍भ देश के प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने 1978 ई. में किया था।
  • यह परियोजना गंगा की सहायक नदी सोन पर स्थित है।
  • यह परियोजना मध्‍यप्रदेश के शहडोल जिले के देवलंद में स्थित है।
  • इसकी विद्युत उत्‍पादन क्षमता 425 मेगावाट है।
  • यह परियोजना मध्‍यप्रदेश, बिहार और उत्‍तरप्रदेश की संयुक्‍त परियोजना है।
  • इसकी प्रमुख नहरें- तयोधर, मऊगज, सिंहवल, क्‍योटी, पूर्वा आदि है।

तवा परियोजना-

  • इस परियोजना का शुभारम्‍भ 1958 ई. में किया गया था और समापन 1978 ई. में हुआ।
  • यह नर्मदा की सहायक नदी तवा पर स्थित है। जो कि सतपुड़ा पर्वत से निकलती है।
  • इस परियोजना से होशंगाबाद और हरदा जिले की सिंचाई आवश्‍यकताओं को पूरा किया जा रहा है।
  • मध्‍यप्रदेश का सबसे लंबा पुल होशंगाबाद जिले में तवा नदी पर बनाया गया है।

राजीव सागर परियोजना-

  • इस परियोजना को बवनथरी व वेनगंगा की प्रणेता के नाम से भी जाना जाता है।
  • बालाघाट जिले की कटंगी तहसील में वेनगंगा नदी पर स्थित है।
  • यह मध्‍यप्रदेश और महाराष्‍ट्र की सयुक्‍तं परियोजना है। जो कि 1978 ई. में शुरू की गई थी।

माही परियोजना-

  • यह मध्‍यप्रदेश और राजस्‍थान की संयुक्‍त परियोजना है। जो‍ कि माही नदी पर स्थित है।
  • माही एक मात्र ऐसी नदी है, जो कर्क रेखा को दो बार काटती है।
  • इस परियोजना के तहत दो डैम का निर्माण किया गया है – एक धार में दूसरा झाबुआ में।

हलाली परियोजना- इसे सम्राट अशोक सागर परियोजना के नाम से भी जाना जाता है। यह परियोजना मध्‍यप्रदेश में विदिशा जिले में हलाली नदी पर स्थित है। यह विदिशा और रायसेन जिलों में सिंचाई सुविधा प्रदान करती है।

मान परियोजना- यह परियोजना नर्मदा की सहायक नदी मान पर स्थित है। वह मध्‍यप्रदेश के धार जिले में सिंचाई की सुविधा प्रदान करती है।

उर्मिल परियोजना– इसको सिंह बैराज के नाम से भी जाना जाता है। यह छतरपुर जिले में केन की सहायक नदी उर्मिल पर स्थित है। यह मध्‍यप्रदेश और उत्‍तरप्रदेश की संयुक्‍त परियोजना है।

राजघाट परियोजना– इस परियोजना को रानी लक्ष्‍मीबाई परियोजना व माताटीला बांध परियोजना के नाम से भी जाना जाता है। यह उत्‍तरप्रदेश के ललितपुर जिले में बेतवा नदी पर स्थित है। यह मध्‍यप्रदेश और उत्‍तरप्रदेश की संयुक्‍त परियोजना है। इसकी विद्युत उतपादन क्षमता 45 मेगावाट है।

पेंच परियोजना– यह मध्‍यप्रदेश और महाराष्‍ट्र राज्‍य की संयुक्‍त परियोजना है। इसे माचा गोरा बांध के नाम से भी जाना जाता है। यह मध्‍यप्रदेश के छिंदवाडा जिले के माचगोरा गांव में स्थित है। बालाघाट जिले में सिंचाई की सुविधा प्रदान करती है।

संजय सरोवर परियोजना– यह एशिया महाद्वीप का सबसे बडा मिट्टी का बांध है। यह मध्‍यप्रदेश के सिवनी जिले के भीमगढ़ गांव में स्थित है। यह वेनगंगा नदी पर स्थित है। यह परियोजना सिवनी और बालाघाट जिले को सिंचाई की सुविधा प्रदान करती है।

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मध्‍यप्रदेश में सिंचाई के प्रमुख माध्‍यम 03 हैं-

क्र.सिंचाई के माध्‍यमवि‍वरण
1कुंआइसके माध्‍यम से म.प्र. के अधिकतम 69.76 प्रतिशत क्षेत्र पर सिंचाई होती है।
2तालाबलगभग 3.95 प्रतिशत क्षेत्र पर।
3नहरें एवं बांधइसके माध्‍यम से मध्‍यप्रदेश के 20.95 प्रतिशत क्षेत्र पर सिंचाई होती है।

मध्‍यप्रदेश की प्रमुख नहरें-

हलाली नहर- इस नहर का निर्माण बेतवा नदी घाटी विकास प्राधिकरण के तहत ‘विदिशा’ जिले में किया गया था। इसकी कुल लंबाई 761 किमी है। इसके अंतर्गत 73.5 हजार हेक्‍टेयर सिंचित क्षेत्र है। यह नहर विदिशा जिले के आसपास के गांवों में सिचांई का कार्य करती है।

चंबल नहर– यह राजस्‍थान से आकर मध्‍यप्रदेश के श्‍योपुर जिले में प्रवेश करती है। इसकी प्रमुख शाखाएं अम्‍बा शाखा, मुरैना शाखा व मऊ शाखाएं है।

तवा नहर- यह नहर होशंगाबाद में स्थित तवा नहर परियोजना से निकलती है। इसकी कुल लंबाई 197 किमी है। कुल सिंचित क्षेत्र 3 लाख हेक्‍टेयर है।

बैनगंगा नहर- यह मुख्‍य रूप से मध्‍यप्रदेश के बालाघाट जिले में पायी जाती है। इसकी कुल लंबाई 45 किमी के आसपास है। संजय सरोवर बांध से निकलती है।

बरना नहर– इस नहर के पानी का उपयोग मुख्‍यत: होशंगाबाद और रायसेन जिलों में किया जा रहा है। यह नहर बरना नदी से निकलती है, जो कि नर्मदा नदी की एक महत्‍वपूर्ण सहायक नदी है।

भांडेर नहर परियोजना– इस नहर के पानी का उपयोग मुख्‍यत: भिंड और मुरैना जिलों में हो रहा है। यह नहर माताटीला बांध अथवा राजघाट परियोजना से निकलती है।

बरगी नहर- यह मुख्‍य रूप से जबलपुर जिले की नहर परियोजना है। यह रानी अवन्‍तीबाई सागर परियोजना से निकलती है।

बरियारपुर नहर परियोजना– इस नहर का शुभारम्‍भ 1906 ई. में हुआ था। यह मध्‍यप्रदेश की सबसे पुरानी नहर परियोजना है। यह केन नदी से निकलती है।

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मध्‍यप्रदेश में प्रमुख सिंचाई और विद्युत परियोजनाओं से संबंधित प्रमुख तथ्‍य-

  • ‘चंदेल’ मध्‍यप्रदेश के पहले शासक थे जिन्‍होंने बुंदेलखण्‍ड क्षेत्र में तालाबों का निर्माण करवाया था।
  • मध्‍यप्रदेश में पहली बार नहर का निर्माण बालाघाट जिले में बैनगंगा नदी पर किया गया था।
  • नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण(एनवीडीए) का गठन 1985 ई. में हुआ था, इसका मुख्‍यालय भोपाल में स्थित है।
  • मध्‍यप्रदेश के सर्वाधिक सिंचित जिले क्रमश:- दतिया, श्‍योपुर और होशंगाबाद ।
  • प्रदेश में सबसे कम सिंचित जिले– डिंडारी, अनूपपुर व मंडला।
  • राज्‍य में सबसे अधिक भूमि जल होशंगाबाद में है जबकि सबसे कम भूमि जल बुरहानपुर जिले में है।
  • इंदौर एक ऐसा जिला है, जहां पवन चक्कियों से सर्वाधिक सिंचाई होती है।
  • मध्‍यप्रदेश की कुल सिंचाई क्षमता 112.90 लाख हेक्‍टेयर है।
  • नदी जोड़ो अभियान के तहत नर्मदा-क्षिप्रा लिंक परियोजना की नींव वीरेन्‍द्र कुमार सकलेचा ने 1977 ई. में शुभारम्‍भ किया जो कि 2012 में पूरी हुई।
  • मध्‍यप्रदेश सरकार द्वारा जलाभिषेक अभियान की शुरूआत 2 अप्रैल 2006 को मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह द्वारा किया गया था।
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और अधिक पढ़ें- मध्‍यप्रदेश के प्रमुख खनिज संसाधन।

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