मध्यप्रदेश में अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या लगभग 153 लाख है जो कि राज्य की कुल जनसंख्या का 21 प्रतिशत है। इस प्रकार देश का एक ऐसा राज्य जहां हर पांचवा व्यक्ति अनुसूचित जनजाति वर्ग का है। Major Tribes of MP- भील, गोंड, बैगा, कोरकू, भारिया, कोल और सहारिया आदि हैं। ‘भील’ राज्य की सबसे बडी अनुसूचित जनजाति है। इस प्रकार मध्यप्रदेश की प्रमुख जनजातियां एवं बोलियां विभिन्न प्रकार की हैं। यहां मुख्यत: बुंदेलखण्डी, बघेली, निमाड़ी, ब्रजभाषा, मालवी, गोंडी और भीली आदि भाषाएं बोली जाती हैं।
Major Tribes of MP –
क्र. | जनजाति | उप-जनजाति | निवास स्थान |
1 | भील | बरेला, भिलाला, पटलिया (कुल 37.7 प्रतिशत) | धार, झाबुआ, पूर्वी निमाड़ और अलीराजपुर। |
2 | गोंड | प्रधान, अगरिया, ओझा, नगारची, सोलहास (कुल 35 प्रतिशत) | नर्मदा के दोनों किनारों पर विन्ध्य और सतपुड़ा अंचल में। |
3 | बैगा | बिंझावर, नरोतिया भरोतिया, नाहर, रेभेना, मैना | मण्डला, बालाघाट और डिण्डौरी। |
4 | कोरकू | ववारी, बोडोया, नाहर नहाला, मोवासीकमा | खण्डवा, होशंगाबाद, बैतूल, छिंदवाडा। |
5 | भारिया | भूमिया, भूईहार व पंडो | छिंदवाड़ा व जबलपुर |
6 | कोल | रोहिया, रौठेल | रीवा, सतना, शहडोल व सीधी । |
7 | सहरिया | खूटिया पटेल | गुना, शिवपुरी, राजगढ़, मुरैना, ग्वालियर, विदिशा, रायसेन व अशोक नगर। |
भील-
मध्यप्रदेश की ‘सबसे बड़ी जनजाति’। भील शब्द की उत्पत्ति तमिल भाषा के शब्द ‘विल्लुवर’ से हुई, जिसका अर्थ- धनुष होता है। इनका शरीर सुगठित, मजबूत, कद- ठिगना व त्वचा का रंग ताम्बई होता है। भीलों में नियमित विवाह, गंधर्व विवाह, हरण विवाह आदि प्रचलन में है। भील जनजाति दो प्रकार की होती है- उजले भील व कालिया भील । उजले भील उच्च श्रेणी के होते हैं इन्हें ‘भिलाला’ भी कहा जाता है। (Major Tribes of MP)
भील जनजाति गुदना-गुदवाने की शौकीन होती है। भीलों के मकानों को ‘कू’ कहते हैं। जिसमें खिड़किया नहीं होती है। वह पहाड़ी वनों को जलाकर कृषि करते हैं, जिसे चिमाता कहते हैं। भीलों में दहेज प्रथा को खत्म करने के लिये ‘साथीदार’ अभियान प्रारंभ किया गया 2016 में।
क्र. | उपजातियां | पर्व | नृत्य |
1 | बरेला | गल | भगोरिया |
2 | रथियास | भगोरिया | डोहा |
3 | भिलाला | चलावणी | बड़वा |
4 | बैगास | जातरा | धूमर |
5 | पटलिया | गौरी |
गोंड– गोण्ड ‘तेलुगु’ शब्द से निर्मित, जिसका अर्थ है- पहाड़। इनका शारीरिक गठन संतुलित, त्वाचा एवं बालों का रंग काला होता है। इनकी नाक बड़ी एवं फैली हुई होती है। इनमें विनिमय विवाह, हरण विवाह एवं विधवा विवाह प्रचलित हैं। गोंडों में मामा एवं बुआ की लड़की से विवाह करना श्रेष्ठ माना जाता है। गोंड लोगों के प्रमुख नृत्यों में करमा, सैला, भड़ौनी, बिरहा, कहरवा, सजनी, सुआ, दीवानी व घोटुल प्रथा प्रचलित है।
इनके प्रमुख देवता ‘बूढ़ा देव’, ठाकुर देव एवं दूल्हा देव हैं। क्रमश: ग्राम भूमि क देवता ‘ठाकुर देव’ कहलाते हैं, दूल्हा देव बीमारियों से रक्षा करते हैं एवं बुढ़ा देव साज वृक्ष पर निवास करते हैं।
- अगरिया- लोहे का काम करने वाला वर्ग।
- प्रधान- पुजारी का काम करने वाला वर्ग।
- कोइलाभुता- नाचने-गाने वाला वर्ग।
- ओझा- पण्डिताई तथा तान्त्रिक क्रिया करने वाला वर्ग।
- सोलाहस- बढ़ई का काम करने वाला वर्ग।
बैगा-
बैगा भुईयां जनजाति एवं द्रविड़ जाति से संबधित है। इसकी प्रमुख शाखाएं बिंझावार, भारिया, भरोतिया, नरोतिया, रायतैना और कठमैना है। इनके सुबह का भोजन ‘बासी’, दोपहार का भोजन ‘पेज’ व रात्रि का भोजन ‘बियारी’ कहलाता है। इनकी कृषि को ‘बैवार कृषि’ कहा जाता है। दूसरे बैलों का अपनी खेती में काम कराना व उसके बदले उपज का आधा भाग देना पोडा कहलाती है। बैगा जनजाति विश्व की सर्वाधिक गुदना प्रिय जनजाति है।
प्रचलित विवाह | मंगनी या चढ़ विवाह, उठवा विवाह, चोर विवाह, पैदुल विवाह, लमसेना एवं उधारिया। |
प्रमुख नृत्य | करमा, सैला, परधोनी व फाग |
कोल– कोल शब्द की मूल उत्पत्ति संस्कृत शब्द ‘कोला’ से हुआ है। इनका मुख्य पेशा ‘कृषि’ है। फसलों की रक्षा के लिये सूर्य, चन्द्रमा, पवन तथा इन्द्र की पूजा करते हैं। इनकी पंचायत को ‘गोहिया पंचायत’ कहा जाता है। कोल जनजाति का नृत्य ‘कोल दका’ विशेष लोकप्रिय है। होली, नवरात्रि, रामनवमी, तीज और दशहरा इनके प्रिय त्यौहार हैं।
06 जून 2011 को मध्यप्रदेश सरकार ने ‘कोल जनजाति विकास अभिकरण’ का गठन किया। जिसका उद्देश्य कोल जनजाति का आर्थिक, शैक्षणिक एवं सामाजिक विकास करना है।
सहारिया-
इसकी उत्पत्ति पारसी भाषा के ‘टठ्ठसहर’ शब्द से हुई है। यह लोग ‘लंहगी नृत्य’ करते हैं। सहारिया जहां निवास करते हैं, उसे सहराना कहते हैं। सहराना का मुखिया पटेल होता है। गोठलीला, रामनवमी, जानकी विवाह, पांडव कथा, लांगुरिया, फाग आदि प्रमुख त्यौहार होते हैं।
कोरकू-
यह कोलेरियन जनजाति की प्रमुख शाखा है। भू-स्वामी कोरकू को ‘राज कोरकू’ तथा शेष कोरकुओं को पोथरिया कोरकू कहते हैं। यह लोग दीपावली, दशहरा और होली को प्रमुख त्यौहार मानते हैं। किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाने पर लकड़ी का स्तंभ , झंडा बनाते है, जिसे ‘सिडोली’ प्रचलन कहते हैं। हठ विवाह व घुसपैठिया विवाह प्रचलित है। मुख्य विवाह प्रथाएं- लमसेना या घर दामाद प्रथा।, चिथोड़ा, राजीबाजी प्रथा, तलाक प्रथा व अन्तरविवाह प्रथा।
भारिया-
भारिया कोलोरियन परिवार की जनजाति से संबधित है, भूमिया नाम से भी जानी जाती है। छिंदवाडा के पातालकोट में रहने वाली भारिया जनजाति दुनिया के लिये प्रमुख आर्कषण का केन्द्र है। सर्वाधिक जनसंख्या जबलपुर में स्थित है। मामा-बुआ के लड़के-लड़कियों के मध्य विवाह शुभ माना जाता है। भारियों लोगों में प्रचलित विवाह- मंगनी विवाह, लमसेना प्रथा, राजीबाजी विवाह व विधवा विवाह एवं चूड़ी प्रथा भी प्रचलित है।
1 | प्रमुख त्यौहार | बिदरी पूजा, नवाखानी, जवारा, दीवली व होली। |
2 | प्रमुख नृत्य | भड़म, करमा, सैतम व शैला। |
3 | मुख्य देवता | शीतला, अम्बिका, पाठर, बैराह |
मध्यप्रदेश की प्रमुख बोलियां-
मध्यप्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की बोलियां बोली जाती हैं, जो सभी हिंदी की उपबोलियां है-
बुंदेली– यह शौरसेनी का अपभ्रंश है। बोले जाने वाले प्रमुख क्षेत्र- टीकमगढ़, सागर, छतरपुर, दतिया व नरसिंहपुर। बंदेलखण्डी बोली के विभिन्न रूप हैं- पौषारी– ग्वालियर, दतिया। लोधांती– हमीरपुर (यूपी)। खटौला– पन्ना, छतरपुर एवं दमोह।
बघेली– यह अर्धमागधी भाषा का अपभ्रंश है। बोले जाने वाले क्षेत्र- रीवा, शहडोल, उमरिया, सतना एवं सीधी।
मालवी- राजस्थान की हड़ौती बोली से प्रभावित है। इस पर महाराष्ट्र की शौरसेनी का भी प्रभाव है। बोले जाने वाले क्षेत्र- इंदौर, उज्जैन, देवास, धार एवं रतलाम।
निमाड़ी– शौरसेनी अपभ्रंश से प्रभावित। बोले जाने वाले क्षेत्र- खण्डवा और खरगौन।
ब्रजभाषा– बोले जाने वाले क्षेत्र, भिण्ड, मुरैना व ग्वालियर।
भीली- बोले जाने वाले क्षेत्र- झाबुआ, निमाड़, धार व रतलाम।
गोण्ड- बोले जाने वाले क्षेत्र- मण्डला ।
कोरकू- प्रमुख क्षेत्र बैतूल, होशंगाबाद, छिंदबाड़ा और खरगोन।
क्र. | बोली जाने वाली प्रमुख बोलियां | प्रमुख क्षेत्र |
1 | बुंदेली | टीकमगढ़, सागर, छतरपुर, दतिया व नरसिंहपुर। |
2 | बघेली | रीवा, शहडोल, उमरिया, सतना एवं सीधी। |
3 | मालवी | इंदौर, उज्जैन, देवास, धार एवं रतलाम। |
4 | निमाड़ी | खण्डवा और खरगौन। |
5 | ब्रजभाषा | भिण्ड, मुरैना व ग्वालियर। |
6 | भीली | झाबुआ, निमाड़, धार व रतलाम। |
7 | गोण्डी | मण्डला |
8 | कोरकू | बैतूल, होशंगाबाद, छिंदबाड़ा और खरगोन। |