दोस्तों आज हम लेकर आये हैं MP Me Panchayati Raj, जो कि परीक्षा की दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
मध्यप्रदेश में पंचायती राज का विकास का विवरण इस प्रकार है-
- वर्ष 1907 में मध्यप्रदेश में सर्वप्रथम दतिया नगर पालिका का गठन किया गया था।
- ग्रामीण विकास के लिये 02 अक्टूबर, 1952 को सामुदायिक विकास कार्यक्रम चलाया गया था।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 40 में पंचायतों के गठन का प्रावधान है।
- बलवंतराय मेहता समिति का गठन वर्ष 1956 में किया गया, जिसने अपनी रिपोर्ट (1957) में त्रिस्तरीय पंचायती राज के गठन का सुझाव दिया-
- ग्राम पंचायत
- पंचायत समिति
- जिला परिषद।
- बलवंतराय मेहता समिति के सुझाव को राष्ट्रीय विकास परिषद ने स्वीकार कर लिया और उसके बाद सभी राज्यों ने त्रिस्तरीय पंचायती राज प्रणाली अपनाई।
- त्रिस्तरीय पंचायती राज को अमलीजामा पं. जवाहरलाल नेहरू ने 02 अक्टूबर 1959 को नागौर, राजस्थान में पहनाया।
- पंचायती राज की शुरूआत करने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य है।
- इसके बाद वर्ष 1959 में आंध्र प्रदेश में पंचायती राज की शुरूआत हुई।
- सर्वप्रथम पंचायती राज अधिनियम 1962 में बना था।
- पंचायती राज व्यवस्था को संवैधानिक प्रावधान देने के लिये 73 वॉं संविधान संशोधन 1992 लागू हुआ।
- इसी आधार पर मध्यप्रदेश में 30 दिसंबर 1993 को मध्यप्रदेश पंचायती राज अधिनियम लाया गया।
- जो कि 25 जनवरी 1994 को मध्यप्रदेश में लागू हुआ।
- पंचायती राज में मुख्यत: 29 विषय सम्मिलित हैं।
- मध्यप्रदेश में 25 जनवरी को प्रतिवर्ष मतदाता दिवस मनाया जाता है।
- मार्च-अप्रैल 1994 में सर्वप्रथम पंचायत चुनाव विधिवत कराये गये।
- विधिवत पंचायती राज प्रारम्भ करने वाला देश का प्रथम राज्य मध्यप्रदेश है।
- मध्यप्रदेश पंचायती राज व्यवस्था मूलत: पंचायती राज अधिनियम 1962 के द्वारा नियंत्रित होती है।
ग्राम पंचायत
- ग्राम पंचायत में एक हजार से अधिक एवं 5000 से कम आबादी तक एक पंचायत होगी ।
- इनका जनसंख्या के अनुपात में 10 से 20 वार्डों का गठन किया जायेगा।
- ग्राम पंचायत प्रशासनिक अधिकारी ग्राम सचिव एवं राजनीतिक प्रमुख सरपंच होता है।
- ग्राम पंचायत में सरपंच का चुनाव प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली के माध्यम से होता है।
- उपसरपंच का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचिता पंचों में से अप्रत्यक्ष निर्वाचन से होता है।
- ग्राम पंचायत का कार्यकाल 05 वर्ष का होता है।
- 26 जनवरी 2001 से ग्राम स्वराज्य योजना लागू की गई है।
- वर्तमान में 23006 ग्राम पंचायते हैं।
जनपद पंचायत
- जनपद पंचायत में 5000 से 50,000 तक आबादी होना चाहिये।
- प्रदेश मे वर्तमान में 313 जनपद पंचायतें है।
- क्षेत्र के विधायक एवं सांसद इसके पदेन सदस्य होते हैं।
- यह मध्य स्तर है, जिसका गठन विकासखण्ड स्तर पर होता है।
- सदस्यों का चुनाव प्रत्यक्ष विधी से किया जाता है।
- जनपद अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष का चुनाव अप्रत्यक्ष विधि से चुने हुए जनपद सदस्यों के द्वारा सदस्यों में से ही किया जाता है।
- जनपद पंचायत का प्रशासनिक प्रमुख मुख्य कार्यपालन अधिकारी होता है।
- राजनीतिक प्रमुख जनपद अध्यक्ष होता है।
जिला पंचायत
- जिला पंचायत का गठन 50,000 से अधिक आबादी वाले क्षेत्रों में किया जाता है।
- जिला पंचायत में सदस्यों की संख्या 10 से 35 तक होती है, जिनका चुनाव प्रत्यक्ष विधी द्वारा किया जाता है।
- सांसद, विधायक, कलेक्टर, जनपद अध्यक्ष पदने सदस्य होते हैं।
- अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के पद के लिये अप्रत्यक्ष विधि से चुनाव होते हैं।
- सहकारी बैंकों के अध्यक्ष सहयोजित सदस्य होते हें।
- जिला पंचायत का प्रशासनिक प्रमुख मुख्य कार्यपालन अधिकारी (आईएएस) होता है।
नगरीय निकाय
सर्वप्रथम मध्यप्रदेश में नगर पालिका अधिनियम 1961 पारित हुआ था। 30 दिसंबर 1993 को विधानसभा में नगर पालिका विधेयक पारित हुआ था। मध्यप्रदेश में प्रथम नगर पालिका का गठन 1864 में जबलपुर में हुआ था।
मध्यप्रदेश के प्रमुख नगर निगम–
क्र. | क्षेत्र | क्र. | क्षेत्र |
1 | इंदौर | 10 | रतलाम |
2 | भोपाल | 11 | देवास |
3 | जबलपुर | 12 | सिंगरौली |
4 | ग्वालियर | 13 | कटनी |
5 | सागर | 14 | सतना |
6 | रीवा | 15 | छिंदवाड़ा |
7 | उज्जैन | 16 | मुरैना |
8 | खण्डवा | 17 | भिण्ड |
9 | बुरहानपुर | 18 | दतिया |
नगर निगम
- नगर निगम का गठन 05 लाख से अधिक आबादी वाले क्षेत्रों में की जाती है।
- नगर निगम के सदस्यों अथवा पार्षदों की संख्या 40 से 85 तक होती है।
- महापौर एवं पार्षदों का चुनाव प्रत्यक्ष विधी से होता है।
- महापौर नगर का प्रथम नागरिक होता है।
- नगर निगम का कार्यकाल 05 वर्ष का होता है।
- मुख्य प्रशासनिक अधिकारी निगम आयुक्त होता है तथा राजनीतिक प्रमुख महापौर होता है।
- नगर निगम परिषद में लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा के पदेन सदस्य होते है तथा 06 विशेषज्ञ सदस्य राज्यपाल द्वारा नियुक्त किये जाते हैं।
नगर पालिका
- नगर पालिका का गठन 20 हजार से अधिक व एक लाख से कम जनसंख्या वाले क्षेत्रों में गठित की जाती है।
- वर्तमान मध्यप्रदेश में 98 नगर पालिकाएं है।
- सदस्यों की संख्या 15 से 40 के बीच में होती है।
- नगर पालिका का प्रशासनिक प्रमुख कार्यपालन अधिकारी एवं राजनैतिक प्रमुख नगर पालिका अध्यक्ष होता है।
- इनका कार्यकाल 05 वर्षों का होता है, मनोनीत सदस्यों की संख्या 04 होती है।
- समिति का अध्यक्ष ध्यक्ष पदेन अध्यक्ष होता है। इस समिति में कुल 08 सदस्य होते हैं।
नगर पंचायत
- नगर पंचायतें 05 हजार से अधिक एंव 20 हजार से कम जनसंख्या वाले क्षेत्रों में गठित की जाती है।
- वर्तमान में नगर पंचायतों की संख्या 264 है।
- नगर पंचायत में सदस्यों की संख्या 15 से 40 होती है।
- प्रशासनिक प्रमुख मुख्य कार्यपालन अधिकारी होता है।
- अध्यक्ष का चुनाव प्रत्यक्ष रीति से लेकिन उपाध्यक्ष का चुनाव अप्रत्यक्ष रीति से होता है।
Important Facts of MP Me Panchayati Raj
- प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य है जिसने ग्राम स्वराज की स्थापना 26 जनवरी 2001 में की ।
- जिस क्षेत्र में अनुसूचित जाति व जनजाति की जनसंख्या 50 प्रतिशत से कम है वहां 25 प्रतिशत सरपंच के पद अन्य पिछड़ा वर्ग के लिये आरक्षित होंगे।
- जिस जिले में अनुसूचित जाति जनजाति की जनसंख्या 50 प्रतिशत से कम है वहां 25 प्रतिशत जनपद अध्यक्षों के पद अन्य पिछड़ा वर्ग के लिये आरक्षित होंगे।
- वर्ष 2006-07 में पंचायतों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है, इसके पहले यह 33 प्रतिशत था।
- स्थानीय निकायों के चुनाव सम्पन्न कराने के लिये 01 फरवरी 1994 को मध्यप्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग का गठन किया गया था।
- प्रदेश में नई संवैधानिक व्यवस्था के अंतर्गत त्रि-स्तरीय पंचायतों को चुनाव करवाने वाला मध्यप्रदेश पहला राज्य है।
- राईट टू रीकॉल का प्रथम प्रयोग अनूपपुर जिले की पल्लविका पटेल को जनता द्वारा हटाया गया था।
- ग्राम सभा बैठक प्रतिमाह न्यूनतम कोरम 20 प्रतिशत के साथ सम्पन्न होनी चाहिए। कोरम में एक तिहाई महिलाएं एवं एससी और एसटी के सदस्यों का उपस्थित होना आवश्यक माना गया है।
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