प्रदेश में राष्ट्रीय आंदोलन 03 जून 1857 को नीमच से प्रांरम्भ होकर सागर, जबलपुर, ग्वालियर, भोपाल एवं इन्दौर तक फैला! विद्रोह का शंखनाद फूंकने में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, नाना साहब व तात्या टोपे ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई! मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय आंदोलन मुख्यत: असहयोग आंदोलन से शुरू होता है। इसके अलावा झण्डा सत्याग्रह, दुरिया जंगल सत्याग्रह, घोड़ा-डोगरी जंगल सत्याग्रह और चरण पदुका गोलीकांड आदि ने मध्यप्रदेश के राष्ट्रीय आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान दिया। National Movement in MP
असहयोग आंदोलन–
इस अवसर पर गांधी जी ने छिंदवाड़ा, जबलपुर, खण्डवा एवं सिवनी का दौरा किया! असहयोग आंदोलन में मध्यप्रदेश की जनता ने शराब बन्दी, तिलक स्वराज्य फण्ड, विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार, सरकारी शिक्षण संस्थाओं का त्याग कर राष्ट्रीय शिक्षा संस्थाओं की स्थापना एवं हथकरघा उद्योग की स्थापना जैसे महत्वपूर्ण कार्यो में अपना योगदान दिया।
झंडा सत्याग्रह (11 मार्च 1923)-
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दिनों में चरखा युक्त तिरंगे झण्डे को ‘जबलपुर कांग्रस कमेटी’ ने नगरपालिका भवन पर ध्वज फहराया! इस कार्य की अंग्रेजी डिप्टी कमिश्नर ने निंदा की! और हुक्म दिया कि तिरंगे झण्डे को न केवल उतार दिया जाये बल्कि पैरों से कुचला जाये। अंग्रेजी हुकूमत की इस अपमानजनक कार्यवाही के विरोध में पं. सुन्दरलाल, सुभद्राकुमारी चौहान, नाथूराम मोदी, लक्ष्मण सिंह चौहान तथा कुछ अन्य स्वयं सेवकों ने झण्डे के साथ जुलूस निकाला! इसी घटना को झण्डा सत्याग्रह के नाम से जाना जाता है।
दुरिया जंगल सत्याग्रह-
यह आंदोलन सिवनी जिले के ग्राम दुरिया से 09 अक्टूबर, 1930 को प्रारंभ हुआ! कुछ स्वयंसेवक घास काटकर स्त्याग्रह किया, तो दरोगा व रेंजर ने सत्याग्रहियों के जनसमुदाय के साथ बहुत अभद्र व्यवहार किया! सिवनी के डिप्टी कमिश्नर ने हुक्म दिया ‘टीच देम ए लेसन’ और पुलिस ने गोली चला दी! घटनास्थल पर ही तीन महिलाएं- गुड्डों बाई, रैना बाई और बिरजू गोंड शहीद हो गए। इसी घटना को दुरिया जंगल सत्याग्रह कहा जाता है।
घोड़ा-डोंगरी जंगल सत्याग्रह–
1930 ई. के जंगल सत्याग्रह के समय बैतूल के आदिवासीयों ने शाहपुर के समीप बंजारी ढाल में सत्याग्रह प्रारम्भ किया! इस सत्याग्रह का नेता गंजन सिंह कोरकू था। जब पुलिस गंजन सिंह को गिरुफतार करने पहुची तो आदिवासियों ने प्रबल प्रतिरोध किया इस कारण पुलिस ने गोलियां बरसाईं। जिसमें कोमा गोंड शहीद हो गया।
चरण पादुका गोलीकांड-National Movement in MP
छतरपुर में उर्मिल नदी के किनारे “चरण पादुका” में 14 जनवरी, 1931 को स्वतंत्रता सेनानियों की एक विशाल सभा चल रही थी! नौगांव स्थित अंग्रेज एजेंट के हुक्म पर बिना किसी चेतावनी के भीड़ पर अंधाधुंध गोलियां चला दी गई! जिसमें अनेक लोग मारे गए। इस गोलीकांड को मध्यप्रदेश का ‘जलियावाला बाग हत्याकांड’ कहा जाता है।
इस हत्याकांड में सेठ सुन्दरलाल, धरमदास खिरवा, चिरकू, हल्के कुर्मी, रामलाल कुर्मी और रघुराज सिंह शहीद हो गए।
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