Tourist Places of MP। Religious Places of MP। मध्‍यप्रदेश के प्रमुख धार्मिक एवं पर्यटन स्‍थल

भारत के मध्‍य में स्थित राज्‍य, मध्‍य प्रदेश को ‘भारत की हृदय स्‍थली’ का गौरव प्राप्‍त है। आदिवासियों की धरती,  नदियों, पहाड़ों, जंगलों से आच्‍छादित मध्‍य प्रदेश अपने भीतर इतिहास की विलक्षण धरोहर समाए हुए है। पर्यटकों के लिए जहां-जहां मध्‍य प्रदेश में प्रकृति ने अपना नैसार्गिक सौंदर्य विखेरा है, वहीं इसे इतिहास के ‘जिज्ञासुओं का विश्‍वविद्यालय’ कहा जाता है। Tourist Places of MP की दृष्टि से मध्‍यप्रदेश समृद्धशाली राज्‍य है।

Tourist Places of MP

क्र.धार्मिक एवं पर्यटन स्‍थलजिलाअन्‍य विवरण
1माण्‍डूधारशादियाबाद उर्फ हर्ष नगर के नाम से प्रसिद्ध।
2खजुराहोछतरपुरशैव, जैन, वैष्‍णव धर्म से सम्‍बन्धित मन्दिर है।
3सांचीरायसेनराजा अशोक द्वारा निर्मि, बौद्ध धर्म से संबधित।
4पचमढ़ीहोशंगाबादपर्वतों की रानी भी कहा जाता है। अप्‍सरा विहार, धूपगढ़, जटाशंकर, चौरागढ़  प्रमुख दर्शनीय स्‍थल।
5महेश्‍वरखरगोनदर्शनीय स्‍थल- अहिल्‍या संग्रहालय, राजराजेश्‍वर मन्दिर, पेशवाघाट तथा होलकर परिवार की छतरियां।
6ओंकारेश्‍वरखण्‍डवाबारह ज्‍योर्तिलिंगों में से एक है।  
7अमरकंटकअनूपपुरनर्मदा, सोन व जोहिला नदियों का उद्गम स्‍थल।
8भेड़ाघाटजबलपुरसफेद संगमरमर की चट्टानों के लिये प्रसिद्ध।    
9औरछानिवाड़ीजहांगीर महल, चतुर्भुज मन्दिर, लक्ष्‍मी नारायण मन्दि, फूलबाग, शहीद स्‍मारक, छतरिया आदि दर्शनीय स्‍थल।
10महाकालेश्‍वरउज्‍जैनसंदीपनी आश्रम, भतृहरि की गुफाएं, काल भैरव, कालियादेह आदि दर्शनीय स्‍थल। 
11चित्रकूटसतनाजानकी कुण्‍ड, सती अनुसुइया, गुप्‍त गोदावरी, हनुमान धारा, भातकूप एवं स्‍फटिक शिला आदि दर्शनीय स्‍थल।
12मैहरसतनामॉ शारदा देवी का भव्‍य मन्दिर है। इसे संगीत नगरी के नाम से भी जाना जाता है।
13बावनगजाबडवानीजैन तीर्थंकर ऋषभदेव की 84 फीट ऊंची मूर्ती ।

Tourist Places of MP in Hindi

माण्‍डू (माण्‍डव)

  • मालवा का प्रसिद्ध सौंदर्य स्‍थल है।
  • माण्‍डू को ‘शादियाबाद अर्थात् हर्ष नगर’ के नाम से भी जाना जाता है।
  • मध्‍यप्रदेश के धार जिले मे स्थित माण्‍डू का प्राचीन नाम मण्‍डपदुर्ग या माण्‍डवगढ था।
  • दिलावर खॉ का पुत्र ‘होशंगशाह’ 1405 में अपनी राजधानी धार से उठाकर माण्‍डू ले गया।
  • माण्‍डू 1554 में बाजबहादुर के आधिपत्‍य में आया, जिसने जहाज महल, हिण्‍डोला महल का निर्माण करवाया।
  • प्रमुख दर्शनीय स्‍थल जहाज महल, हिण्‍डोला महल, होशंगशाह का मकबरा, जामा मस्जिद, अशर्फी महल, लोहानी गुफाएं, चम्‍पा बावडी तथा रानी रूपमती का महल ।
  • माण्‍डू को ‘आनंद नगरी’ (सिटी ऑफ जाय) भी कहा जाता है।

खजुराहो

  • विश्‍वविख्‍यात खजुराहो का भव्‍य मन्दिर मध्‍य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है।
  • इसका निर्माण चन्‍देल राजाओं ने 950-1050 ई. में करवाया था।
  • 1986 ई. में अन्‍तर्राष्‍ट्रीय संस्‍था यूनेस्‍को ने ‘विश्‍व धरोहर’ की सूची में शामिल किया।
  • ‘चित्रगुप्‍त मन्दिर’ खजुराहो का एकमात्र सूर्य मन्दिर है।
  • यहां शैव, जैन, वैष्‍णव धर्म से सम्‍बन्धित मन्दिर है।
  • चौसठ योगिनी, कंदरिया महादेव मन्दिर आदिनाथ, पार्श्‍वनाथ  जैन मन्दिर, दूल्‍हादेव एवं चतुर्भुज मन्दिर है।
  • यहां सजीव मैथुन काम और रति क्रीड़ाएं सांसारिक निष्‍कपटता तथा स्‍वछन्‍द एवं उन्‍कुक्‍त प्रेम की प्रतीक  है।
  • खजुराहो का सौंदर्य यहां के ‘शिल्‍प और कला’ का प्रतीक है।

सांची

  • सांची का स्‍तूप मध्‍यप्रदेश के रायसेन जिले में, भोपाल के समीप स्थित है।
  • एकमात्र ऐसा स्‍थल है जहां बौद्ध स्‍तूप है लेकिन महात्‍मा बुद्ध कभी नहीं गए।
  • सांची को मौर्य काल में वेदसंगीति, चेतिय गिरी, शुंग सातवाहन काल में काकणारव, गुप्‍त काल में काकनादवोट श्री महाविहार कहा जाता है।
  • सम्राट अशोक ने विदिशा के सेठ देव की कन्‍या श्री देवी के प्रभाव से स्‍तूप का निर्माण सांची में करवाया।
  • स्‍तूप में ‘भू-वेदिका, वीथि, अण्‍ड, हरिमका, तोरण द्वार’ आदि वस्‍तु अंग है।
  • सांची में स्थित ‘नव विहार’ में बुद्ध के शिष्‍य सारीपुत्र एवं महामोगलायन की अस्थि के अवशेष कांच की मंजूषा में रखे है।
  • 1989 ई में ‘विश्‍व धरोहर’ की सूची में शामिल ।
  • बौद्ध नगरी के नाम से प्रसिद्ध। प्रमुख दर्शनीय बौद्ध विहार, अशोक स्‍तम्‍भ,महापात्र गुप्‍तकालीन मन्दिर एवं संग्रहालय।

पचमढ़ी

  • पचमढ़ी का शाब्दिक अर्थ- पांच कुटियां। पर्यटकों का ‘स्‍वर्ग उपनाम’ से प्रसिद्ध।
  • प्रदेश का एकमात्र हिल स्‍टेशन पचमढ़ी होशंगाबाद जिले में ‘सतपुडा पहाडी पर स्थित है।
  • पाण्‍डवों का वनवास स्‍थल तथा इसे पर्वतों की रानी भी काहा जाता है।
  • कैप्‍टन फोरसे ने ‘प्रियदर्शनी प्‍वाइण्‍ट स्‍थान’ से पंचमढ़ी की खोज की थी
  • वेलकम हेरिटेज गोल्‍फ व्‍यू होटल पचमढी में स्थित है।
  • प्रदेश का प्रथम स्‍थान जिसे बायोस्‍फीयर रिजर्व (आरक्षित जैवमण्‍डल) क्षेत्र घोषित किया गया।
  • पचमढ़ी को पर्वतों की रानी भी कहा जाता है। अप्‍सरा विहार, धूपगढ़, जटाशंकर, चौरागढ़ दर्शनीय स्‍थल यहीं पर स्थित हैं ।

महेश्‍वर- प्राचीन नाम महिष्‍माती, मध्‍यप्रदेश के खरगोन जिले में स्थित है। ‘देवी अहिल्‍या तथा हैहयवंश’ (कीतिवीर्य अर्जुन) की राजधानी थी । देवी अहिल्‍या ने सुन्‍दर किला और आकर्षक घाट बनवाये। मध्‍यप्रदेश सरकार ने पवित्र नगर घोषित किया। महेश्‍वर का उल्‍लेख रामयाण एवं महाभारत में भी मिलता है। दर्शनीय स्‍थल- अहिल्‍या संग्रहालय, राजराजेश्‍वर मन्दिर, पेशवाघाट तथा होलकर परिवार की छतरियां आदि।

ओंकारेश्‍वरयह खण्‍डवा जिले में नर्मदा के तट पर स्थित है। बारह ज्‍योर्तिलिंगों में से एक है। यहां पर ‘नर्मदा और कावेरी’ के संगम में ब्राहम्‍ण शैली में बना ओंकार मान्‍धाता का सुन्‍दर मन्दिर है। सिद्धांत मन्दिर, 24 अवतार सनमात्रिक मन्दिर, गौरी सोमनाथ मन्दिर आदि शंकराचार्य की गुफाएं, ओंकारेश्‍वर राष्‍ट्रीय उद्यान प्रमुख है। ममलेश्‍वर मन्दिर, ओंकारेश्‍वर का मन्दिर प्रमुख दर्शनीय स्‍थल है।

अमरकण्‍टक-

एक पवित्र नगर जो कि अनूपपुर जिले की पुष्‍प राजगढ़ तहसील में स्थित है। नर्मदा, सोन व जोहिला नदियों का उद्गम स्‍थल है। प्रसिद्ध तीर्थ एवं नयनाभिराम पर्यटन स्‍थल व ऋषि-मुनियों की तपोभूमि रहा है। कपिलधारा जलप्रपात,  सोनमृग, माई की बगिया, कबीर चौरा, भृगु कमण्‍डल, पुष्‍कार बांध, दुग्‍धधारा जलप्रपात तथा नर्मदा कुण्‍ड आदि पर्यटन स्‍थ्‍ल है। यहां के प्राचीन मन्दिरों को कलचुरि राजाओं ने बनवाया था।

भेड़ाघाट- भेड़ाघाट का नाम ‘भृगु ऋषि’ के नाम पर पड़ा है। नर्मदा नदी के जल प्रवाह के कारण अति सुन्‍दर दृश्‍य प्रदर्शित करता है। सफेद संगमरमर की चट्टानों के लिये प्रसिद्ध। धुआंधार जल प्रपात,  बन्‍दर कूदनी, गौरीशंकर मन्दिर आदि देखने लायक स्‍थल है।

ओरछा- ओरछा निवाड़ी जिले में स्थित है। ओरछा को बुन्‍देला शासकों ने ‘बुन्‍देलखण्‍ड’ की राजधानी बनाई थी। क्रान्तिकारी चन्‍द्रशेखर आजाद की साधना स्‍थली रही है। जहांगीर महल, चतुर्भुज मन्दिर, लक्ष्‍मी नारायण मन्दि, फूलबाग, शहीद स्‍मारक, छतरिया आदि दर्शनीय स्‍थल हैं।

उज्‍जैन

  • क्षिप्रा नदी के पूर्वी तट पर स्थित उज्‍जैन को उज्‍जयिनी, अवन्तिका, अमरावती, पुतिकल्‍पा, कुमुदवती आदि नामों से जाना जाता है।
  • विश्‍व की ‘याम्‍योत्‍तर’ (शून्‍य देशान्‍तर) रेखा यहीं से गुजरती है।
  • महाकाल की नगरी के नाम से प्रसिद्ध। यहां प्रत्‍येक 12 बर्षों के अंतराल में सिंहस्‍थ पर्व आयोजित किया जाता है। इस पर्व पर बृहस्पित सिंह राशि पर होता है, इस कारण इसे सिंहस्‍थ कहा जाता है।
  • उज्‍जैन के मंगलनाथ से ‘भूगोल’ की उत्‍पति मानी जाती है। यहां स्थित जंतर-मंतर वेधशाला राजा जयसिंह द्वारा बनवाया गया था।
  • ‘संदीपनी आश्रम’, जिसमें भगवान श्री कृष्‍ण ने शिक्षा ग्रहण की थी, भतृहरि की गुफाएं, काल भैरव, कालियादेह आदि दर्शनीय स्‍थल हैं।
चित्रकूट
  • प्राचीन काल में ‘तपस्‍या एवं शांति का स्‍थल’ जो कि मध्‍यप्रदेश के सतना जिले में स्थित।
  • ब्रम्‍हा, विष्‍णु और महेश के बाल अवतार का स्‍थल। वनवास के समय भगवान श्रीराम, सीता लक्ष्‍मण, महर्षि अत्रि तथा सती अनुसुईया के अतिथि बनकर रहे थे।
  • जहांगीर के क्रोध से पीडि़त ‘अब्‍दुल राम रहीम खाने खाना’  ने शरण ली थी तथा महा‍कवि ‘तुलसीदास’ आत्मिक शांति के लिये यहां आये हुए थे।
  • जानकी कुण्‍ड, सती अनुसुइया, गुप्‍त गोदावरी, हनुमान धारा, भातकूप एवं स्‍फटिक शिला आदि दर्शनीय स्‍थल हैं।

मैहर- मध्‍यप्रदेश के सतना जिले में स्थित है, यहां पर प्रसिद्ध आल्‍हा-उदल का अखाड़ा था। मॉ शारदा देवी का भव्‍य मन्दिर है। इसे ‘संगीत नगरी’ के नाम से भी जाना जाता है।

बावनगजा- बावनगजा में भगवान आदिनाथ ‘ऋषभदेव’ की मूर्ति आकर्षण का मुख्‍य केन्‍द्र है। जो कि 12 वीं शताब्‍दी की 84 फीट उंची जैन मूर्ति है।

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